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चुम्बन में
आलिंगन में
मर्दन में
रमण में
पारंगत वह
रसभरी परिपक्व रूपाम्बरा।
फिर भी
झिझक भरी
संकोच भरी
लाज भरी
अबोध प्रिया है वह
रूपाभा से दमकती युवती वह।
रचनाकाल :1990