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दुख से दुराव नहीं
सुख का कुछ चाव नहीं
सुनता हूँ--
स्थिति में ऐसी
योगी बन जाते हैं
(पूजनीय, श्रद्धास्पद)
किन्तु मित्र
मैं तो मशीन बन गया हूँ
अपनी ही आँखों में
दीन बन गया हूँ