भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निष्कर्ष / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem> रे...)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:37, 7 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

रेखा यश की हो या
अपयश की
एक विशेष दूरी पर
समान हो जाती हैं

दो विरोधी दिशाओं में
छूटे
हुए तीर
एक ही बिन्दु पर
पहुँच जाते हैं

जो यह जानते हैं
वे सींग वाले उल्लुओं को
जेबों में पालते हैं
और जो ऊँट को जानते हुए
उसके गिलबिलाने से
अपरिचित हैं
जो बाजी हारते हैं