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पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ १
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तन है, मन है, जीवन है।
म्रित्युलोक
मृत्युलोक
मालिन्य मेटने,
स्वामि संग जो आयी हैं।
तीन लोक की लक्ष्मी ने,
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