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"जो हवा में है / उमाशंकर तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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+ | वापसी में नींद भर सोना | ||
+ | जो खुला आकाश स्वर में है | ||
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23:08, 10 सितम्बर 2009 का अवतरण
जो हवा में है, लहर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है
शाम कन्धे पर लिये अपने
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील का जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
रोज सूरज की तरह उगना
शिखर पर चढ़ना, उतर जाना
घाटियों पर रंग भर जाना
फिर सुरंगों से गुजर जाना
जो हँसी कच्ची उमर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
एक नन्हीं जान चिडि़या का
डा़ल से उड़कर हवा होना
सात रंगों के लिये दुनिया
वापसी में नींद भर सोना
जो खुला आकाश स्वर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।