भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वह नहीं कहती / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
उसके पास थोड़ी सी गरमाहट--- | उसके पास थोड़ी सी गरमाहट--- | ||
+ | |||
+ | |||
धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है | धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है |
11:14, 31 अक्टूबर 2006 का अवतरण
कवि: अशोक वाजपेयी
~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~
उसनें कहा
उसके पास एक छोटा सा ह्रदय है
जैसे धूप कहे
उसके पास थोड़ी सी रौशनी है
आग कहे
उसके पास थोड़ी सी गरमाहट---
धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है
आग नहीं कहती उसके पास लपटें
वह नहीं कहती उसके पास देह ।