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"मुक्त विश्व / अब्दुल्ला पेसिऊ" के अवतरणों में अंतर

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मुक्त विश्व ने
अब तक नहीं सुनीं
सभी क्रियाओं के मर्म में बैठी हुई
तेल की धड़कनें

एक ही बात
सुनती रही दुनिया निरंतर
और अब तो हो गई है बहरी-

धधकते हुए पर्वतों की गर्जना भी
नहीं सुनाई दे रही है
अब तो उन्हें


अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र