भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरा यह करुण अवसान / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन | |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
तेरा यह करुण अवसान! | तेरा यह करुण अवसान! |
14:24, 28 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
तेरा यह करुण अवसान!
जब तपस्या-काल बीता,
पाप हारा, पूण्य जीता,
विजयिनी, सहसा हुई तू, हाय, अंतर्धान!
तेरा यह करुण अवसान!
जब तुझे पहचान पाया,
देवता को जान पाया,
खींच तुझको ले गया तब काल का आह्वान!
तेरा यह करुण अवसान!
जब मिटा भ्रम का अँधेला,
जब जगी वरदान-बेला,
तू अनंत निशीथ-निद्रा में हुई लयमान!
तेरा यह करुण अवसान!