भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वर्षा राग-2 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("वर्षा राग-2 / उदय प्रकाश" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop]) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है | कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है | ||
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है | कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है | ||
+ | |||
+ | घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ | ||
+ | लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ! | ||
</poem> | </poem> |
20:15, 28 सितम्बर 2009 का अवतरण
मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
छींके के सपने में खोई पूसी भड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ
लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ!