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"पत्थर के फर्श, कगारों में / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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इन वज्र बरसती मारों में | इन वज्र बरसती मारों में | ||
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कष्ट सहीले वीरों में | कष्ट सहीले वीरों में | ||
जिस ओर लखूँ तुम ही तुम हो | जिस ओर लखूँ तुम ही तुम हो | ||
प्यारे इन विविध शरीरों में | प्यारे इन विविध शरीरों में | ||
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10:37, 7 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
पत्थर के फर्श, कगारों में
सीखों की कठिन कतारों में
खंभों, लोहे के द्वारों में
इन तारों में दीवारों में
कुंडी, ताले, संतरियों में
इन पहरों की हुंकारों में
गोली की इन बौछारों में
इन वज्र बरसती मारों में
इन सुर शरमीले गुण, गरवीले
कष्ट सहीले वीरों में
जिस ओर लखूँ तुम ही तुम हो
प्यारे इन विविध शरीरों में