भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बकरी / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> बकरी आई बकरी आई में-मे...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:06, 8 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
बकरी आई बकरी आई
में-में करती बकरी आई।
चपर-चपर चरती है चारा
करती अपनी पेट भराई।
पतली-सी इसकी है काया
दिखती है हिरणी की माई।