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"पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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09:56, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण
वंदना के इन स्वरों मे,
एक स्वर मेरा मिला लो।
बंदिनी माँ को न भूलो,
राग में जब मत्त झूलो;
अर्चना के रत्नकण में,
एक कण मेरा मिला लो।
जब हृदय का तार बोले,
श्रृंखला के बंद खोले;
हो जहाँ बलि शीश अगणित,
एक शिर मेरा मिला लो।