भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आनेवाले ! स्वागत / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatNavgeet‎}} <poem> आनेवाले ! स्वागत ! ज…)
 
छो ("आनेवाले ! स्वागत / शलभ श्रीराम सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

19:14, 19 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

आनेवाले ! स्वागत !
जानेवाले ! विदा !
अगले चौराहे पर इन्तज़ार...
शुक्रिया !

ख़त लिखना- फागुनी बतास जब खुले !
हाँ, लिखना- दूध में गुलाल जब घुले !
लिखना जी : फूले जब हरसिंगार...
शुक्रिया !

बौर लगे आमों का हाल चाल भी लिखना !
मधु मासे बौने मन की उछाल भी लिखना !
लिखना : जब झुक-झूमे नीम-डार...
शुक्रिया !

लिखना : पोखर-तीरे हंस युग्म का होना ।
किरणों सिरहाने रखकर लहरों का सोना ।
लिखना : जब जलकुम्भी हो उधार...
शुक्रिया !