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− | जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि। | + | जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि। |
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16:00, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
राग केदारा
फिर फिर कहा सिखावत बात।
प्रात काल उठि देखत ऊधो, घर घर माखन खात॥
जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि।
इहं हैं निकट जसोदानन्दन प्रान-सजीवनि भूरि॥
बालक संग लियें दधि चोरत, खात खवावत डोलत।
सूर, सीस नीचैं कत नावत, अब नहिं बोलत॥