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"फिर फिर कहा सिखावत बात / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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फिर फिर कहा सिखावत बात।
प्रात काल उठि देखत ऊधो, घर घर माखन खात॥<br>
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प्रात काल उठि देखत ऊधो, घर घर माखन खात॥
जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि।<br>
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जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि।
इहं हैं निकट जसोदानन्दन प्रान-सजीवनि भूरि॥<br>
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इहं हैं निकट जसोदानन्दन प्रान-सजीवनि भूरि॥
बालक संग लियें दधि चोरत, खात खवावत डोलत।<br>
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बालक संग लियें दधि चोरत, खात खवावत डोलत।
सूर, सीस नीचैं कत नावत, अब नहिं बोलत॥<br><br>
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सूर, सीस नीचैं कत नावत, अब नहिं बोलत॥
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16:00, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

राग केदारा

फिर फिर कहा सिखावत बात।
प्रात काल उठि देखत ऊधो, घर घर माखन खात॥
जाकी बात कहत हौ हम सों, सो है हम तैं दूरि।
इहं हैं निकट जसोदानन्दन प्रान-सजीवनि भूरि॥
बालक संग लियें दधि चोरत, खात खवावत डोलत।
सूर, सीस नीचैं कत नावत, अब नहिं बोलत॥