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"हरि हरि हरि सुमिरन करौ / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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हरि हरि हरि सुमिरन करौ।
 
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हरि चरनारबिंद उर धरौं॥
 
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हरि की कथा होइ जब जहां।
 
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गंगाहू चलि आवै तहां॥
 
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जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
 
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गोदावरी विलंब न लाबै॥
 
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सर्व तीर्थ को बासा तहां।
 
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सूर, हरि-कथा होवे जहां॥
 
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16:30, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण

बिलावल

हरि हरि हरि सुमिरन करौ।
हरि चरनारबिंद उर धरौं॥

हरि की कथा होइ जब जहां।
गंगाहू चलि आवै तहां॥

जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
गोदावरी विलंब न लाबै॥

सर्व तीर्थ को बासा तहां।
सूर, हरि-कथा होवे जहां॥