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"ताहि ते आयो सरन सबेरे / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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ग्यान बिराग भगति साधन कछु सपनेहुँ नाथ न मेरे॥१॥ | ग्यान बिराग भगति साधन कछु सपनेहुँ नाथ न मेरे॥१॥ | ||
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यह जिय जानि रहौं सब तजि रघुबीर भरोसे तेरे। | यह जिय जानि रहौं सब तजि रघुबीर भरोसे तेरे। | ||
तुलसीदास यह बिपति बाँगुरो तुमहिं सों बनै निबेरे॥५॥ | तुलसीदास यह बिपति बाँगुरो तुमहिं सों बनै निबेरे॥५॥ | ||
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22:27, 26 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
ताहि ते आयो सरन सबेरे।
ग्यान बिराग भगति साधन कछु सपनेहुँ नाथ न मेरे॥१॥
लोभ मोह मद काम क्रोध रिपु फिरत रैन दिन घेरे।
तिनहि मिले मन भयो कुपथ रत फिरै तिहारेहि फेरे॥२॥
दोष-निलय यह बिषय सोक-प्रद कहत संत स्त्रुति टेरे।
जानत हूँ अनुराग तहाँ अति सो हरि तुम्हरेहि प्रेरे॥३॥
बिष-पियूष सम करहु अगिनि हिम तारि सकहु बिनु बेरे।
तुम सब ईस कृपालु परम हित पुनि न पाइहौं हेरे॥४॥
यह जिय जानि रहौं सब तजि रघुबीर भरोसे तेरे।
तुलसीदास यह बिपति बाँगुरो तुमहिं सों बनै निबेरे॥५॥