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"क्षमा प्रार्थना / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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मिला निमंत्रण आपका, धन्यवाद श्रीमान,
कुछ तो दीजे ध्यान, हुक्म काकी का ऐसा,<br>
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बहुत कर चुके प्राप्त, प्रतिष्ठा-पदवी-पैसा।<br>
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कुछ तो दीजे ध्यान, हुक्म काकी का ऐसा,
खबरदार, अब कविसम्मेलन में मत जाओ,<br>
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बहुत कर चुके प्राप्त, प्रतिष्ठा-पदवी-पैसा।
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लिखो पुस्तकें, हास्य-व्यंग्य के फूल खिलाओ।
 
लिखो पुस्तकें, हास्य-व्यंग्य के फूल खिलाओ।
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09:37, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मिला निमंत्रण आपका, धन्यवाद श्रीमान,
किंतु हमारे हाल पर कुछ तो दीजे ध्यान।
कुछ तो दीजे ध्यान, हुक्म काकी का ऐसा,
बहुत कर चुके प्राप्त, प्रतिष्ठा-पदवी-पैसा।
खबरदार, अब कविसम्मेलन में मत जाओ,
लिखो पुस्तकें, हास्य-व्यंग्य के फूल खिलाओ।