"कुत्ते तभी भौंकते हैं / अल्हड़ बीकानेरी" के अवतरणों में अंतर
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अल्हड़ बीकानेरी |संग्रह=खिलखिलाहट / काका हाथरसी }} राम...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=खिलखिलाहट / काका हाथरसी | |संग्रह=खिलखिलाहट / काका हाथरसी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
रामू जेठ बहू से बोले, मत हो बेटी बोर | रामू जेठ बहू से बोले, मत हो बेटी बोर | ||
कुत्ते तभी भौंकते हैं जब दिखें गली में चोर | कुत्ते तभी भौंकते हैं जब दिखें गली में चोर | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 26: | ||
ऐसी पटकी दी पिल्ले ने, चित्त हुआ चुपचाप | ऐसी पटकी दी पिल्ले ने, चित्त हुआ चुपचाप | ||
साँपों का कर चुके सफाया हरियाणा के मोर। | साँपों का कर चुके सफाया हरियाणा के मोर। | ||
+ | </poem> |
01:58, 30 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
रामू जेठ बहू से बोले, मत हो बेटी बोर
कुत्ते तभी भौंकते हैं जब दिखें गली में चोर
वफ़ादार होते हैं कुत्ते, नर हैं नमक हराम
मिली जिसे कुत्ते की उपमा, चमका उसका नाम
दिल्ली क्या, पूरी दुनिया में मचा हुआ है शोर
हैं कुत्ते की दुम जैसे ही, टेढ़े सभी सवाल
जो जबाव दे सके, कौन है वह माई का लाल
देख रहे टकटकी लगा, सब स्वीडन की ओर
प्रजातंत्र का प्रहरी कुत्ता, करता नहीं शिकार
रूखा-सूखा टुकड़ा खाकर लेटे पाँव पसार
बँगलों के बुलडॉग यहाँ सब देखे आदमख़ोर
कुत्ते के बजाय कुरते का बैरी, यह नाचीज़
मुहावरों के मर्मज्ञों को, इतनी नहीं तमीज़
पढ़ने को नित नई पोथियाँ, रहे ढोर के ढोर
दिल्ली के कुछ लोगों पर था चोरी का आरोप
खोजी कुत्ता लगा सूँघने अचकन पगड़ी टोप
जकड़ लिया कुत्ते ने मंत्री की धोती का छोर
तो शामी केंचुआ कह उठा, ‘हूँ अजगर’ का बाप
ऐसी पटकी दी पिल्ले ने, चित्त हुआ चुपचाप
साँपों का कर चुके सफाया हरियाणा के मोर।