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तपी हुई धरती पर रखे
 
तपी हुई धरती पर रखे

23:47, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

तपी हुई धरती पर रखे
चिनार से मेरे पिता ने
अपने हरे पाँव-
हे राम !

राशन, पानी और टैंटो के लिए
निकाले गए जुलूस में चलते हुए
कहा उन्होंने
मेरी जल रही हैं पलकें-
मैंने उनके सर पर रख दी
गीली रुमाल...
पुलिस ने छोड़े आँसू के गोले
भाग गए विस्थापित

पिता बैठ गए एक गली में
खम्भे के साथ, बोले-
चलो करते हैं धर्म-परिवर्तन ही
और लौट जाएंगे
घने चिनारों की छाँह में
वहीं मरेंगे अपनी मातृभूमि में
एक ही बार

पिता देखते रहे धूप में अवाक
और वहीं पर
हो गए ढेर