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21:14, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
महानगर
न भूँकते हुए कुत्ते थे,
न रास्ता काटती बिल्लियाँ,
पर ठिठककर खड़े हो गये तुम…
वहाँ एक छोटा चूहा
दम तोड़ रहा था
आकाश
एक चील की तरह
मुँह बाए हुए था ।