भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम जब घर आओगी / मनीष मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनीष मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> तुम जब घर आओगी त…)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:42, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

तुम जब घर आओगी
 
तो साथ लाओगी
वर्षों की कुँवारी सुगन्ध
नारीत्व का मुलायम झीना एहसास
और लरजता, ठिठकता मौन ।

तुम जब घर आओगी
हम संग ढकेंगे
आकाश को पक्षिंयो से
धरती को वनस्पतियों से
और चुप को शब्दो से ।

तुम जब घर आओगी
हम संग सुनेंगे
अल सुबह किसी चिड़िया की चहक
कीड़ो की प्रणय पुकार
और विलंबित ताल में गुंथा प्रेम राग

जब तुम घर आओगी ।