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"गुल-लालः / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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लालः के इस
 
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भरे हुए दिल-से पके लाल फूल को देखो
 
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जो भोर के साथ विकसेगा
 
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फिर साँझ के संग सकुचाएगा
 
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और (अगले दिन) फिर एक बार खिलेगा  
 
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फिर साँझ को मुंद जाएगा।
 
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और फिर एक बार उमंगेगा
 
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तब कुम्हलाता हुआ काला पड़ जायेगा।
 
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पर मैं—वह भरा हुआ दिल—
 
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क्या मुझे फिर कभी खिलना है?
 
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जिस में (यदि) हँसना है
 
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वह भोर ही क्या फिर आयेगा?
 
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23:14, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लालः के इस
भरे हुए दिल-से पके लाल फूल को देखो
जो भोर के साथ विकसेगा
फिर साँझ के संग सकुचाएगा
और (अगले दिन) फिर एक बार खिलेगा
फिर साँझ को मुंद जाएगा।
और फिर एक बार उमंगेगा
तब कुम्हलाता हुआ काला पड़ जायेगा।

पर मैं—वह भरा हुआ दिल—
क्या मुझे फिर कभी खिलना है?
जिस में (यदि) हँसना है
वह भोर ही क्या फिर आयेगा?