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"बात-1 / शैलेय" के अवतरणों में अंतर
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लोग कहते हैं - रात गई
बात गई
लेकिन
मैं गाता हूँ
जैसा कि पाता हूँ
हमेशा ही
रात ढह जाती है
बात रह जाती है