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"अपनी पीढ़ी के लिए / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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और तवे पर सिंकती पिछली रोटी परथन की
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मेला उखडने के बाद का कचडा महामारियां
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समुद्र में डूबता सबसे प्राचीन बंदरगाह
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और टूट कर गिरता सर्वोच्च शिखर
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सब हमारे लिए
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पोलिथिन थैलियों पर जीवित गौवों का दूध हमारे लिए
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शहद का छत्ता खाली
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हमारे लिए वो हवा फेफडे की अंतिम मस्तकहीन धड.
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वे तारे भी हमारे लिए जिनका प्रकाश अब तक पहुंचा ही नहीं हमारे पास
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और वे तेरह सूर्य जो कहीं होंगे आज भी सुबह की प्रतीक्षा में
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सबसे सुंदर स्त्रियां और सबसे सुंदर पुरूष
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और वो फूल जिसे मना है बदलना फल में
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हमारी ही थाली में शासकों के दांत छूटे हुए
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और जरा सी धूप में ध्धक उठती आदिम हिंसा 
  
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जब भी हमारा जिक्र हो कहा जाए  
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हम उस समय जिए जब  
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और तवे पर सिंकती पिछली रोटी परथन की<br>
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और सबसे मोहाल थी रोटी  
सब हमारे लिए<br>
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और वो फूल जिसे मना है बदलना फल में<br>
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हमारी ही थाली में शासकों के दांत छूटे हुए<br>
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और जरा सी धूप में ध्‍धक उठती आदिम हिंसा<br><br>
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हम उस समय जिए जब<br>
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और कहा जाए<br>
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हर पीढी की तरह हमें भी लगा<br>
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और आगे सब अच्‍छा होगा।
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13:29, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वे सारे खीरे जिनमें तीतापन है हमारे लिए
वे सब केले जो जुडवां हैं
वे आम जो बाहर से पके पर भीतर खट्टे हैं चूक
और तवे पर सिंकती पिछली रोटी परथन की
सब हमारे लिए
ईसा की बीसवीं शाताब्दी की अंतिम पीढी के लिए
वे सारे युद्ध और तबाहियां
मेला उखडने के बाद का कचडा महामारियां
समुद्र में डूबता सबसे प्राचीन बंदरगाह
और टूट कर गिरता सर्वोच्च शिखर
सब हमारे लिए
पोलिथिन थैलियों पर जीवित गौवों का दूध हमारे लिए
शहद का छत्ता खाली
हमारे लिए वो हवा फेफडे की अंतिम मस्तकहीन धड.
पूर्वजों के सारे रोग हमारे रक्त में
वे तारे भी हमारे लिए जिनका प्रकाश अब तक पहुंचा ही नहीं हमारे पास
और वे तेरह सूर्य जो कहीं होंगे आज भी सुबह की प्रतीक्षा में
सबसे सुंदर स्त्रियां और सबसे सुंदर पुरूष
और वो फूल जिसे मना है बदलना फल में
हमारी ही थाली में शासकों के दांत छूटे हुए
और जरा सी धूप में ध्धक उठती आदिम हिंसा

जब भी हमारा जिक्र हो कहा जाए
हम उस समय जिए जब
सबसे आसान था चंद्रमा पर घर
और सबसे मोहाल थी रोटी
और कहा जाए
हर पीढी की तरह हमें भी लगा
कि हमारे पहले अच्छा था सब कुछ
और आगे सब अच्छा होगा।