"स्थिति / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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जो अग्नि देकर आया है उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में | जो अग्नि देकर आया है उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में | ||
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पता नहीं कब वह चौंक कर बैठ जाए, डर जाए-- | पता नहीं कब वह चौंक कर बैठ जाए, डर जाए-- | ||
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राख हो जाने के बाद भी कुछ है जो जलता रहता है | राख हो जाने के बाद भी कुछ है जो जलता रहता है | ||
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गंगा में प्रवाह के बाद भी कुछ है जो बहता रह जाता है रक्त में-- | गंगा में प्रवाह के बाद भी कुछ है जो बहता रह जाता है रक्त में-- | ||
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कोई तो चाहिए जो सोए उसके पास आज रात | कोई तो चाहिए जो सोए उसके पास आज रात | ||
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लेकिन सोएगा कौन? | लेकिन सोएगा कौन? | ||
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जो कहकर गए कि आते हैं थोड़ी ही देर में | जो कहकर गए कि आते हैं थोड़ी ही देर में | ||
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वे अभी तक नहीं लौटे-- | वे अभी तक नहीं लौटे-- | ||
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लोग खाकर हाथ-मुँह धो रहे हैं | लोग खाकर हाथ-मुँह धो रहे हैं | ||
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लोग मसहरियों के डंडे ठीक कर रहे हैं | लोग मसहरियों के डंडे ठीक कर रहे हैं | ||
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किसी के माथे में दर्द है | किसी के माथे में दर्द है | ||
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किसी को कल के लिए सितार का रियाज करना है | किसी को कल के लिए सितार का रियाज करना है | ||
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सब को कुछ न कुछ काम पड़ गया है अचानक | सब को कुछ न कुछ काम पड़ गया है अचानक | ||
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कोई तैयार नहीं | कोई तैयार नहीं | ||
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कोई भी तैयार नहीं बैठने को उसके पास जो अग्नि देकर | कोई भी तैयार नहीं बैठने को उसके पास जो अग्नि देकर | ||
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आया है और सफ़ेद मलमल में लिपटा | आया है और सफ़ेद मलमल में लिपटा | ||
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कोने में पड़ा है चुपचाप | कोने में पड़ा है चुपचाप | ||
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जो जवान बेटे को फूँक कर आया है | जो जवान बेटे को फूँक कर आया है | ||
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उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में | उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में | ||
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14:33, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जो अग्नि देकर आया है उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में
पता नहीं कब वह चौंक कर बैठ जाए, डर जाए--
राख हो जाने के बाद भी कुछ है जो जलता रहता है
गंगा में प्रवाह के बाद भी कुछ है जो बहता रह जाता है रक्त में--
कोई तो चाहिए जो सोए उसके पास आज रात
लेकिन सोएगा कौन?
जो कहकर गए कि आते हैं थोड़ी ही देर में
वे अभी तक नहीं लौटे--
लोग खाकर हाथ-मुँह धो रहे हैं
लोग मसहरियों के डंडे ठीक कर रहे हैं
किसी के माथे में दर्द है
किसी को कल के लिए सितार का रियाज करना है
सब को कुछ न कुछ काम पड़ गया है अचानक
कोई तैयार नहीं
कोई भी तैयार नहीं बैठने को उसके पास जो अग्नि देकर
आया है और सफ़ेद मलमल में लिपटा
कोने में पड़ा है चुपचाप
जो जवान बेटे को फूँक कर आया है
उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं रात में