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"ऎसा क्यों हो रहा है / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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सामने सड़क पर एक औरत की इज़्ज़्त जा रही है | सामने सड़क पर एक औरत की इज़्ज़्त जा रही है | ||
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और लोग अपने-अपने ऒटों पर खड़े हैं चुपचाप | और लोग अपने-अपने ऒटों पर खड़े हैं चुपचाप | ||
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बगल में एक आदमी का ख़ून हो रहा है | बगल में एक आदमी का ख़ून हो रहा है | ||
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और लोग अपने-अपने दरवाज़े बन्द कर सुन रहे हैं चुपचाप | और लोग अपने-अपने दरवाज़े बन्द कर सुन रहे हैं चुपचाप | ||
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ऎसा क्यों हो रहा है | ऎसा क्यों हो रहा है | ||
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ऎसा क्यों हो रहा है कि | ऎसा क्यों हो रहा है कि | ||
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हज़ारों लोग लेबनान में काटे जा रहे हैं | हज़ारों लोग लेबनान में काटे जा रहे हैं | ||
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और सारी दुनिया अपने-अपने हथियारों में | और सारी दुनिया अपने-अपने हथियारों में | ||
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:::::तेल डाल रही है चुपचाप | :::::तेल डाल रही है चुपचाप | ||
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पेड़ को पत्थर बनने में लगा है हज़ार वर्ष | पेड़ को पत्थर बनने में लगा है हज़ार वर्ष | ||
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आदमी देखते-देखते पत्ठर बन रहा है | आदमी देखते-देखते पत्ठर बन रहा है | ||
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ऎसा क्यों, आख़िर क्यों हो रहा है | ऎसा क्यों, आख़िर क्यों हो रहा है | ||
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14:35, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सामने सड़क पर एक औरत की इज़्ज़्त जा रही है
और लोग अपने-अपने ऒटों पर खड़े हैं चुपचाप
ऎसा क्यों हो रहा है?
बगल में एक आदमी का ख़ून हो रहा है
और लोग अपने-अपने दरवाज़े बन्द कर सुन रहे हैं चुपचाप
ऎसा क्यों हो रहा है
ऎसा क्यों हो रहा है कि
हज़ारों लोग लेबनान में काटे जा रहे हैं
और सारी दुनिया अपने-अपने हथियारों में
तेल डाल रही है चुपचाप
पेड़ को पत्थर बनने में लगा है हज़ार वर्ष
आदमी देखते-देखते पत्ठर बन रहा है
ऎसा क्यों, आख़िर क्यों हो रहा है
ऎसा क्यों हो रहा है?