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"बहुत पानी बरसता है / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

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चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है  
 
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बढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैं ?
 
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नक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता है  
 
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वो दुश्मन ही सही आवाज़ दे उसको मोहब्बत से  
 
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सलीक़े से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है
 
सलीक़े से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है
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20:30, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है
न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है
 
यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे
यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है

चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है
मगर वो शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती है

बढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैं ?
कुएँ में छुप के क्यों आख़िर ये नेकी बैठ जाती है ?

नक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता है
समझ के फूल उसके लब पे तितली बैठ जाती है

सियासत नफ़रतों का ज़ख्म भरने ही नहीं देती
जहाँ भरने पे आता है तो मक्खी बैठ जाती है

वो दुश्मन ही सही आवाज़ दे उसको मोहब्बत से
सलीक़े से बिठा कर देख हड्डी बैठ जाती है