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"चुप हो तुम / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर

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चुप हो तुम
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खामोशी की चील
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काटती है
हवाएं चुप हैं<br><br>
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खामोशी की चील<br>
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लगाती हूं आवाज...
काटती है<br>
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पर 
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फर्क नहीं पड़ता
  
लगाती हूं आवाज... <br>
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बदहवासी
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22:52, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

चुप हो तुम
तो
हवाएं चुप हैं

खामोशी की चील
काटती है
चक्कर
दाएं... बाएं

लगाती हूं आवाज...
 
पर
फर्क नहीं पड़ता

बदहवासी

पैठती जाती है
भीतर...