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"करबला / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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'''करबला'''
 
'''करबला'''

23:52, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

करबला
[एक रजज़]<ref>युद्धक्षेत्र में कुल की विरता और श्रेष्ठता का वर्णन</ref>

फिर अलअतश की है सदा
जैसे रजज़ का ज़मज़मा
फिर रेगे-सहरा पर रवाँ
है अहले-दिल का कारवाँ
नहरे-फ़ुरात आतश-ब-ज़ाँ
रावि-ओ-गंगा ख़ूँचिकाँ
कोई यज़ीद<ref>एक पतित और अयाचारी शासक, जिसने हज़रत इमाम हुसैन को शहीद कराया था</ref>-ए-वक़्त हो
या शिम्र हो या हुरमुला
उसको ख़बर हो या न हो
रोज़े-हिसाब आने को है
नज़्दीक है रोज़े-जज़ा
ऐ करबला ऐ करबला

२.

गूँगी नहीं है ये ज़मीं
गूँगा नहीं ये आसमाँ
गूँगे नहीं हर्फ़ो-बयाँ
गूँगी अगर है मस्लिहत
ज़क़्मों को मिलती है ज़बाँ
वो खूँ जो रिज़्क़-ख़ाक़ था
ताबिन्दा है पाइन्दा है
सदियों की सफ़्फ़ाकी सही
इन्सान अब भी ज़िन्दा है
हर ज़र्रा-ए-पामाल<ref>पैरों के नीचे कुचले हुए कण</ref> में
दिल के धड़कने की सदा
ऐ करबला ऐ करबला




अर्शे-रुऊनत के ख़ुदा
अर्ज़े-सितम के देवता
ये टीन और लोहे के बुत
ये सीमो-ज़र के किब्रिया<ref>ईश्वर</ref>
बारूद है जिन की कबा<ref>चोगा, गाइन</ref>
रॉकेट की लय जिन की सदा
तूफ़ाने-ग़म से बेख़बर
ये क़समवादो-कमहुनर<ref>प्रतिभाहीन और निर्गुण</ref>
निकले हैं ले के अस्लिहा
लेकिन जल उट्ठी ज़ेरे-पा
रेगे-नवाहे-नैनवा
आँधी है मश्रिक़ की हवा
शो’ला फ़लसतीं की फ़ज़ा
ऐ करबला ऐ कराबला


ये मदरसे दानीशकदे<ref>विद्यालय</ref>
इल्मो-हुनर के मयकदे
इनमें कहाँ से आ गये
ये कर्गसों के घोंसले
ये जह्‌ल की परछाइयाँ
लेती हुई अंगडाइयाँ
दानिशवराने-बेयक़ीं
ग़ैरों के दफ़्तर के अमीं
अल्फ़ाज़ के ख़्वाजासरा<ref>सेवक</ref>
इनके तसर्रुफ़ में नहीं
ख़ूने-बहारे-ज़िंदगी
इनके तसर्रुफ़ में नहीं
ख़ूने-हयाते-ज़ाविदाँ<ref>शाश्वत जीवन</ref>
बर्हम है इनसे रंगे-गुल
आज़ुर्दा है बादे-सबा
ऐ करबला ऐ करबला



लेकिन यही दानिश क़दे
हैं इश्क़ के आतशक़दे<ref>आग के घर</ref>
हैं हुस्न के ताबिशक़दे<ref>ज्योतिगृह</ref>
पलते हैं जिनकी गोद में
लेकर अनोखा बाँकपन
अस्रे-रवाँ के कोहकन
मेरे ज़वानाने-चमन
बुलबुल-नवा, शाहीं अदा
ऐ करबला ऐ करबला



ऐ ग़म के फ़र्ज़न्दो उठो
ऐ आरज़ूमन्दो उठो
ज़ुल्फ़ों की गलियों में रवाँ
दिल की नसीमे-ज़ाँफ़िज़ा
होटों की कलियों में ज़वाँ
बूए-गुल-ओ-बूए-वफ़ा
आँखों में तारों की चमक
माथों पे सूरज की दमक
दिल में जमाले-शामे-गम
रुख़ पर जलाले-बेनवा
गूँजी हुई ज़ेरे-क़दम
तारीक़ की आवाज़े-पा
शमशीर हैं दस्ते-दुआ
ऐ करबला ऐ करबला



प्यासों के आगे आएँगे
आएँगे लाये जाएँगे
आसूदगाने-जामे-ज़म
सब साहिबाने-बेकरम
खुल जाएगा सारा भरम
झुक जाएँगे तेग़ो-अलम<ref>तलवार और पताकाएँ</ref>
पेशे-सफ़ीराने-क़लम<ref>लेखनी के दूत</ref>
रख़शन्दा<ref>हर्षित</ref> है रूहे-हरम
ताबिन्दा है रूए-सनम
सरदार के शि’रों में है
ख़ूने-शहीदाँ की ज़िया<ref>आलोक</ref>
ऐ करबला ऐ करबला


शब्दार्थ
<references/>