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"सीमा-व्यूह / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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17:48, 7 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
झुक आई फिर
मन के आँगन पर
सफेदे की टहनियां
बिछ गये फिर
वीरान पगडंडियों पर
हरसिंगार के रक्तिम पत्ते
आज फिर
बादल ने मुझे सीमित कर दिया
खिड़की से निगाह हटा
दुबक जाता हूं
अंगीठी के दहकते कोयलों में
सोचता हूँ
राख-की-परतों-सा
और कुरदता हूं
अपनी परछाईयाँ
सामने बैठी सीमा की पीली कलाईयों में
आँख चुभती सलाईयों में
स्वैटर की बुनती में
उसके चुम्बनों-थके गालों पर
ढीले-रूखे बालों
घेरती दीवारों
झुकी टहनियों
दूर फैली झाड़ियों
और
हरसिंगार रक्तिम पत्तों पर
कोयलों से उठती तम्बई छायाएं कांपती हैं
झुक आई हैं फिर
सफेदे की टहनियां
बिछ गये हैं फिर
हरसिंगार के रक्तिम पत्ते
कर दिया फिर सीमित
आज मुझे बादल ने।