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"बोलो न विक्रमार्क / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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छो (बोलो न विक्रमांक / अवतार एनगिल का नाम बदलकर बोलो न विक्रमार्क / अवतार एनगिल कर दिया गया है: सही शब्) |
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(कोई अंतर नहीं)
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20:38, 7 नवम्बर 2009 का अवतरण
कहां गया वो
चील की जोगिया फलियों पर
मचलता चलता था जो?
कहां गया वो
फुहारों नहाई सिन्दूरी सांझ संग़
दीप-सा जलता था जो?
जाने क्या घटा
कि रास्तों पर उड़ते पत्ते
फिर से पेड़ों पर चढ़ने लगे
टहनियों पर उगने लगे
जाने क्या हुआ
कि उफनती शरारतें
मौन मछलियां बन
मथने लगी मन
जाने कब
गालों पर गिरती फुहार
रेन कोट ने ढक दी
बोलो न वि
क्रमार्क !
क्यों चूक जाता है
सिन्दूरी सांझ का जादू
क्यों बच जाता है
जलने
और जलकर चुकने का एहसास ?
क्यों चुभ जाता है सूरज
शूल-सा आँख में ?
और आंख पर हाथ रख
क्यों भटक जाते हैं हम
इन अनजान रास्तों की भूल-भुलैयों में ?