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उम्मीद / अविनाश

18 bytes added, 09:34, 8 नवम्बर 2009
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{{KKCatKavita}}<Poem>सर से पानी सरक रहा है आंखों भर अंधेरा
उम्मीदों की सांस बची है होगा कभी सबेरा
अब तो चार क़दम भर थामें हाथ पड़ोसी का
जलते हुए गांव में साथी क्या तेरा क्या मेरा</poem>
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