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"कला दर्शन / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था | सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था | ||
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ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग | ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग | ||
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अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता | अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता | ||
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मर खप जाता है | मर खप जाता है | ||
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हत्या तो मैं करूँगा हत्या तो मेरा धंधा है | हत्या तो मैं करूँगा हत्या तो मेरा धंधा है | ||
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मुझे ख़ून चाहिए ख़ून ! नाटक बिना ख़ून के | मुझे ख़ून चाहिए ख़ून ! नाटक बिना ख़ून के | ||
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नहीं खेला जा सकता | नहीं खेला जा सकता | ||
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अगर अब से औरतों का नहीं तो | अगर अब से औरतों का नहीं तो | ||
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बच्चों का ख़ून : तुम लोग रंगमंच चाहते हो | बच्चों का ख़ून : तुम लोग रंगमंच चाहते हो | ||
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और एक ख़ून देकर चीखने लगते हो | और एक ख़ून देकर चीखने लगते हो | ||
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न तुम अपनी विडम्बना को जानते हो | न तुम अपनी विडम्बना को जानते हो | ||
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न मेरी कला को | न मेरी कला को | ||
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जाओ घर पर माँएँ तुम्हारा इन्तज़ार करती होंगी | जाओ घर पर माँएँ तुम्हारा इन्तज़ार करती होंगी | ||
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मेरी क़मीज़ पर घी का दाग़ देखकर | मेरी क़मीज़ पर घी का दाग़ देखकर | ||
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तुम मुझे साहित्य से निकालना चाहते हो | तुम मुझे साहित्य से निकालना चाहते हो | ||
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कहते हो हलवाई का बेटा कभी कहानीकार | कहते हो हलवाई का बेटा कभी कहानीकार | ||
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नहीं बन सकता | नहीं बन सकता | ||
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मैं आपकी मण्डली का सदस्य होना भी नहीं चाहता | मैं आपकी मण्डली का सदस्य होना भी नहीं चाहता | ||
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मैं तो मोक्ष की तलाश में हूँ | मैं तो मोक्ष की तलाश में हूँ | ||
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19:03, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
1
सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था
ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग
अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता
मर खप जाता है
2
हत्या तो मैं करूँगा हत्या तो मेरा धंधा है
मुझे ख़ून चाहिए ख़ून ! नाटक बिना ख़ून के
नहीं खेला जा सकता
अगर अब से औरतों का नहीं तो
बच्चों का ख़ून : तुम लोग रंगमंच चाहते हो
और एक ख़ून देकर चीखने लगते हो
न तुम अपनी विडम्बना को जानते हो
न मेरी कला को
जाओ घर पर माँएँ तुम्हारा इन्तज़ार करती होंगी
3
मेरी क़मीज़ पर घी का दाग़ देखकर
तुम मुझे साहित्य से निकालना चाहते हो
कहते हो हलवाई का बेटा कभी कहानीकार
नहीं बन सकता
मैं आपकी मण्डली का सदस्य होना भी नहीं चाहता
मैं तो मोक्ष की तलाश में हूँ