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"संस्कार / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=बहनें और अन्य कविताएँ / असद ज़ैदी
 
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बीच के किसी स्टेशन पर
 
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दोने में पूड़ी-साग खाते हुए
 
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आप छिपाते हैं अपना रोना
 
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जो अचानक शुरू होने लगता है
 
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पेट की मरोड़ की तरह
 
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और फिर छिपाकर फेंक देते हैं कहीं कोने में
 
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अपना दोना ।
 
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सोचते हैं : मुझे एक स्त्री ने जन्म दिया था
 
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मैं यों ही दरवाज़े से निकलकर नहीं चला आया था ।
 
मैं यों ही दरवाज़े से निकलकर नहीं चला आया था ।
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19:11, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बीच के किसी स्टेशन पर
दोने में पूड़ी-साग खाते हुए
आप छिपाते हैं अपना रोना
जो अचानक शुरू होने लगता है
पेट की मरोड़ की तरह
और फिर छिपाकर फेंक देते हैं कहीं कोने में
अपना दोना ।
सोचते हैं : मुझे एक स्त्री ने जन्म दिया था
मैं यों ही दरवाज़े से निकलकर नहीं चला आया था ।