भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आज ग्रसित है प्रदूषण से हमारा वर्तमान / अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=  
 
|संग्रह=  
 
}}
 
}}
<poem>है प्रदूषण की समस्या राष्ट्रव्यापी सावधान
+
{{KKCatGhazal}}
 +
<poem>
 +
है प्रदूषण की समस्या राष्ट्रव्यापी सावधान
 
कीजिए मिल जुल के जितनी जल्द हो इसका निदान
 
कीजिए मिल जुल के जितनी जल्द हो इसका निदान
  

19:27, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

है प्रदूषण की समस्या राष्ट्रव्यापी सावधान
कीजिए मिल जुल के जितनी जल्द हो इसका निदान

है गलोबलवार्मिंग अभिषाप अन्तर्राष्ट्रीय
इससे छुटकारे की कोशिश कार्य है सबसे महान

हो गई है अब कयोटो सन्धि बिल्कुल निष्क्रिय
ग्रीनहाउस गैस है चारोँ तरफ अब विद्यमान

आज विकसित देश क्यूँ करते नहीँ इस पर विचार
विश्व मेँ हर व्यक्ति को जीने का अवसर है समान

हर तरफ प्रकृति का प्रकोप है चिंताजनक
ले रही है वह हमारा हर क़दम पर इम्तेहान

पूरी मानवता तबाही के दहाने पर है आज
इस से व्याकुल हैँ निरन्तर बच्चे बूढे और जवान

ग्रामवासी आ रहे हैँ अब महानगरोँ की ओर
है प्रदूषण की समस्या हर जगह बर्क़ी समान