भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जंगली चींटियां /अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल }} <poem>...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल | |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल | ||
}} | }} | ||
− | <poem>कल | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | कल | ||
मेरी बगिया का नींबू | मेरी बगिया का नींबू | ||
बारीक भूरी चींटियों से लद गया | बारीक भूरी चींटियों से लद गया |
02:24, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कल
मेरी बगिया का नींबू
बारीक भूरी चींटियों से लद गया
देखती रह गई
मुँह बाए
कीड़ेमार दवा
रोयेंदार ज़मीन पर
भागती
भागती रहीं
बारीक-बारीक चींटियाँ
मुँह में दबाए
सफेद फूलों के टुक़ड़े
और आज
झाँकते हैं
काले अंधियारे छेद
सफेद रेशमी फूलों के नन्हें महकीले जिस्मों से
सीधे हाथ से
बायाँ कन्धा दबाये
खड़ा हूँ सर झुकाये भूरी चींटियों के सर पर
फूलों के ताज़ हैं
हम जहाँ कल थे
वहीं आज हैं।