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चुन नहीं सका | चुन नहीं सका |
11:13, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
चुन नहीं सका
अभी तक
जीवन और मृत्यु के बीच
उसके आगमन से
लगता था
वह सम्पूर्ण जीवन है
वह जीवन का आनन्द है
उसका आह्लाद है
जीवन और मृत्यु के बीच
समय ने बनाना चाहा
शाश्वत प्रेम का सेतु
जीवन में उसका ठहरना
और निरन्तर रहना
सम्पूर्ण जीवन का आभास देकर
अचानक उसका चले जाना
देकर मृत्यु का एकान्त
उसकी निर्जनता
उसकी भव्यता
अब, कितना आसान है
उसके प्रस्थान से
चुनना जीवन और मृत्यु के बीच।