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"कल रात / इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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नसीब में इतना अन्धेरा बदा था! | नसीब में इतना अन्धेरा बदा था! | ||
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पेड़ सिर धुनते रहे | पेड़ सिर धुनते रहे | ||
धरती का दामन भीगता रहा | धरती का दामन भीगता रहा |
20:21, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कल रात फिर रोया आसमान
कि क्यों बादलों ने चेहरे पर सियाही पोत दी!
सितारे काजल की कोठरी में बैठे बिलखते रहे
नसीब में इतना अन्धेरा बदा था!
हवा शोर मचाती रही
पेड़ सिर धुनते रहे
धरती का दामन भीगता रहा
किसको फ़र्क पड़ा
बादल गरजते रहे
अट्टाहास करते रहे
उन्हें मालूम था
मौसम उनका है।