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"साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या? / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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00:27, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?
जो समझ ही में न आये वो पयाम आया तो क्या?
मय से हूँ महरूप अब भी, जो शरीके-दौर हूँ।
पाए साक़ी से जो ठोकर खाके जाम आया तो क्या?