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"रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=अहमद फ़राज़ | |रचनाकार=अहमद फ़राज़ | ||
− | |संग्रह=ज़िंदगी ! ए ज़िंदगी ! / फ़राज़ | + | |संग्रह=ज़िंदगी ! ए ज़िंदगी ! / फ़राज़;दर्द आशोब / फ़राज़ |
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आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ | आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ | ||
− | कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मुहब्बत<ref>प्रेम के | + | कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मुहब्बत<ref>प्रेम के गर्व</ref> का भरम रख |
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ | तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ | ||
− | पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो | + | पहले से मरासिम<ref>प्रेम व्यवहार |
− | + | </ref> न सही फिर भी कभी तो | |
+ | रस्मे-रहे-दुनिया<ref>सांसारिक शिष्टाचार | ||
+ | </ref> ही निभाने के लिए आ | ||
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम | किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम | ||
तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ | तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ | ||
− | इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम | + | इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरिया<ref>रोने के स्वाद</ref> से भी महरूम <ref>वंचित |
− | ऐ राहत-ऐ-जाँ मुझको रुलाने के लिए आ | + | </ref> |
+ | ऐ राहत-ऐ-जाँ<ref>प्राणाधार | ||
+ | </ref> मुझको रुलाने के लिए आ | ||
− | अब तक दिल-ऐ-ख़ुशफ़हम को तुझ से है उम्मीदें | + | अब तक दिल-ऐ-ख़ुशफ़हम<ref>किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन</ref> को तुझ से है उम्मीदें |
− | ये आखिरी | + | ये आखिरी शम्अ भी बुझाने के लिए आ |
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22:35, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मुहब्बत<ref>प्रेम के गर्व</ref> का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम<ref>प्रेम व्यवहार
</ref> न सही फिर भी कभी तो
रस्मे-रहे-दुनिया<ref>सांसारिक शिष्टाचार
</ref> ही निभाने के लिए आ
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरिया<ref>रोने के स्वाद</ref> से भी महरूम <ref>वंचित
</ref>
ऐ राहत-ऐ-जाँ<ref>प्राणाधार
</ref> मुझको रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ऐ-ख़ुशफ़हम<ref>किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन</ref> को तुझ से है उम्मीदें
ये आखिरी शम्अ भी बुझाने के लिए आ
शब्दार्थ
<references/>