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"वह मैदान के किनारे / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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वह मैदान के किनारे | वह मैदान के किनारे |
22:43, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वह मैदान के किनारे
सखियों के साथ बैठी है
उसका एक हाथ उसके बालों को
चुपचाप सँवार रहा है, दूसरे से
घास पर ओस की तरह
निरन्तर टपक रहा है एक विस्मृत स्पर्श
वह रास में डूबती है
उभरती है आँसुओं में