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"वे रात भर अन्त की / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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वे रात भर अन्त की
 
वे रात भर अन्त की

22:48, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वे रात भर अन्त की
प्रतीक्षा करते रहे जो
घुप्प आकाश के एक अदृश्य
कोने में पड़ा
सोता रहा रात भर

उसने मुझे कन्धे हिलाकर
जगाया, बोली धीरे से
मेरे पंख ! मेरे पंख !!
नींद में चलते मैंने वे
चुपचाप उसके हाथों में रख दिए
जैसे वह उन हाथों से
गुसलख़ाने से भूले हुए
कपड़े माँग रही हो, धीरे से