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"राजधानी में बैल 4 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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पेसिफ़िक मॉल के ठीक सामने
 
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सड़क के बीचोंबीच खड़ा है देर से
 
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वह चितकबरा
 
वह चितकबरा
 
 
  
 
उसकी अधमुंदी आंखों में निस्पृहता है अज़ब
 
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किसी संत की
 
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या फ़िर किसी ड्रग-एडिक्ट की
 
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तीखे शोर , तेज़ रफ़्तार , आपाधापी  और उन्माद में
 
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उसके दोनों ओर चलता रहता है
 
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अनंत ट्रैफ़िक
 
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घंटों से वह वहीं खड़ा है चुपचाप
 
घंटों से वह वहीं खड़ा है चुपचाप
 
 
मोहनजोदाड़ो की मुहर में उत्कीर्ण
 
मोहनजोदाड़ो की मुहर में उत्कीर्ण
 
 
इतिहास से पहले का वृषभ
 
इतिहास से पहले का वृषभ
 
 
या काठमांडू का नांदी
 
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कभी-कभी बस वह अपनी गर्दन हिलाता है
 
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किसी मक्खी के बैठने पर
 
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उसके सींगों पर टिकी नगर सभ्यता कांपती है
 
उसके सींगों पर टिकी नगर सभ्यता कांपती है
 
 
उसके सींगों पर टिका आकाश थोड़ा-सा डगमगाता है
 
उसके सींगों पर टिका आकाश थोड़ा-सा डगमगाता है
 
 
  
 
उसकी स्मृतियों में अभी तक हैं खेत
 
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अपनी स्मृतियों की घास को चबाते हुए
 
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उसके जबड़े से बाहर कभी-कभी टपकता है समय
 
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झाग की तरह ।
 
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23:02, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

पेसिफ़िक मॉल के ठीक सामने
सड़क के बीचोंबीच खड़ा है देर से
वह चितकबरा

उसकी अधमुंदी आंखों में निस्पृहता है अज़ब
किसी संत की
या फ़िर किसी ड्रग-एडिक्ट की

तीखे शोर , तेज़ रफ़्तार , आपाधापी और उन्माद में
उसके दोनों ओर चलता रहता है
अनंत ट्रैफ़िक

घंटों से वह वहीं खड़ा है चुपचाप
मोहनजोदाड़ो की मुहर में उत्कीर्ण
इतिहास से पहले का वृषभ
या काठमांडू का नांदी

कभी-कभी बस वह अपनी गर्दन हिलाता है
किसी मक्खी के बैठने पर

उसके सींगों पर टिकी नगर सभ्यता कांपती है
उसके सींगों पर टिका आकाश थोड़ा-सा डगमगाता है

उसकी स्मृतियों में अभी तक हैं खेत
अपनी स्मृतियों की घास को चबाते हुए
उसके जबड़े से बाहर कभी-कभी टपकता है समय
झाग की तरह ।