"घोड़े की सवारी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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लड़का उसे बड़ी देर से | लड़का उसे बड़ी देर से | ||
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घोड़ा कहकर | घोड़ा कहकर | ||
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उसकी टाँगों पर | उसकी टाँगों पर | ||
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चढ़ रहा था । | चढ़ रहा था । | ||
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वह लेटा हुआ था पीठ के बल । | वह लेटा हुआ था पीठ के बल । | ||
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बायें घुटने पर | बायें घुटने पर | ||
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दायीं टाँग थी | दायीं टाँग थी | ||
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जो लड़के लिए घोड़े की | जो लड़के लिए घोड़े की | ||
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पीठ थी । | पीठ थी । | ||
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उसके पैर के अँगूठे को लड़का | उसके पैर के अँगूठे को लड़का | ||
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घोड़े के कान की तरह | घोड़े के कान की तरह | ||
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ऎंठ रहा था । | ऎंठ रहा था । | ||
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उसने टाँगें हिलाईं धीरे से कि | उसने टाँगें हिलाईं धीरे से कि | ||
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लड़का गिरे नहीं | लड़का गिरे नहीं | ||
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'चला घोड़ा, चला' लड़के ने | 'चला घोड़ा, चला' लड़के ने | ||
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ताली पीटी और जीभ से | ताली पीटी और जीभ से | ||
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चख-चख की आवाज़ निकाली । | चख-चख की आवाज़ निकाली । | ||
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उसके सिर में दर्द था सुबह से ही | उसके सिर में दर्द था सुबह से ही | ||
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वह सोना चाहता था तुरत | वह सोना चाहता था तुरत | ||
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लेकिन लड़के ने घंटे भर से उसे | लेकिन लड़के ने घंटे भर से उसे | ||
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घोड़ा बना रखा था | घोड़ा बना रखा था | ||
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अचानक लड़का गिरा फ़र्श पर | अचानक लड़का गिरा फ़र्श पर | ||
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उसका माथा दीवार से टकराज़ा | उसका माथा दीवार से टकराज़ा | ||
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उसे लगा, लड़के को | उसे लगा, लड़के को | ||
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चोट ज़रूर आई होगी | चोट ज़रूर आई होगी | ||
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उसने वापस आदमी होने की | उसने वापस आदमी होने की | ||
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कोशिश की और | कोशिश की और | ||
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उठकर बैठ गया ' | उठकर बैठ गया ' | ||
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वह लड़के को चुप कराना | वह लड़के को चुप कराना | ||
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चाहता था ' | चाहता था ' | ||
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लेकिन उसके गले में से | लेकिन उसके गले में से | ||
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थके हुए घोड़े की | थके हुए घोड़े की | ||
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हिनहिनाहट निकली सिर्फ़ ! | हिनहिनाहट निकली सिर्फ़ ! | ||
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23:40, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
लड़का उसे बड़ी देर से
घोड़ा कहकर
उसकी टाँगों पर
चढ़ रहा था ।
वह लेटा हुआ था पीठ के बल ।
बायें घुटने पर
दायीं टाँग थी
जो लड़के लिए घोड़े की
पीठ थी ।
उसके पैर के अँगूठे को लड़का
घोड़े के कान की तरह
ऎंठ रहा था ।
उसने टाँगें हिलाईं धीरे से कि
लड़का गिरे नहीं
'चला घोड़ा, चला' लड़के ने
ताली पीटी और जीभ से
चख-चख की आवाज़ निकाली ।
उसके सिर में दर्द था सुबह से ही
वह सोना चाहता था तुरत
लेकिन लड़के ने घंटे भर से उसे
घोड़ा बना रखा था
अचानक लड़का गिरा फ़र्श पर
उसका माथा दीवार से टकराज़ा
उसे लगा, लड़के को
चोट ज़रूर आई होगी
उसने वापस आदमी होने की
कोशिश की और
उठकर बैठ गया '
वह लड़के को चुप कराना
चाहता था '
लेकिन उसके गले में से
थके हुए घोड़े की
हिनहिनाहट निकली सिर्फ़ !