Changes

|संग्रह=रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
कटघरे में चीख़ता है बंदी
 
’योर आनर,
 
मुझे नहीं मैकाले को भेजना चाहिए
 
कालापानी’
 
’योर आनर,
 
इतिहास में और भविष्य में फाँसी का हुक्म
 
जनरल डायर के लिए हो’
 
’मुज़रिम मैं नहीं
 
हिज हाईनेस,
 
मुज़रिम नाथूराम है’
 
 
नेपथ्य में से निकलते हैं कर्मचारी
 
सिर पर डालकर काला कनटोप
 
उसे ले जाते हैं नेपथ्य की ओर
 
न्यायाधीश तोड़ता है क़लम
 
न्यायविद लेते हैं जमुहाइयाँ
 
दुर्दिनों में ऎसे ही हुआ करता है न्याय
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits