भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क़ैदी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश
 
|संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
वे तीन थे
 
वे तीन थे
 
 
और जैसे किसी जेल में थे
 
और जैसे किसी जेल में थे
 
  
 
भीतर थी एक संकरी-सी कोठरी
 
भीतर थी एक संकरी-सी कोठरी
 
 
जिसके भीतर सिर्फ़ उनका ही संकरा-सा जीवन
 
जिसके भीतर सिर्फ़ उनका ही संकरा-सा जीवन
 
 
और उनकी ही थोड़ी-सी साँसे थीं
 
और उनकी ही थोड़ी-सी साँसे थीं
 
  
 
एक संतरी की तरह टहलता था
 
एक संतरी की तरह टहलता था
 
 
दूसरा वार्डेन की तरह देता था हिदायतें
 
दूसरा वार्डेन की तरह देता था हिदायतें
 
 
कविता के सख़्त क़ायदों के बारे में
 
कविता के सख़्त क़ायदों के बारे में
 
  
 
तीसरे को
 
तीसरे को
 
 
दोनों ऎसे देखते थे
 
दोनों ऎसे देखते थे
 
 
जैसे देखा जाता है कोई क़ैदी ।
 
जैसे देखा जाता है कोई क़ैदी ।
 +
</poem>

00:43, 11 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वे तीन थे
और जैसे किसी जेल में थे

भीतर थी एक संकरी-सी कोठरी
जिसके भीतर सिर्फ़ उनका ही संकरा-सा जीवन
और उनकी ही थोड़ी-सी साँसे थीं

एक संतरी की तरह टहलता था
दूसरा वार्डेन की तरह देता था हिदायतें
कविता के सख़्त क़ायदों के बारे में

तीसरे को
दोनों ऎसे देखते थे
जैसे देखा जाता है कोई क़ैदी ।