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"दूलह राम सीय दुलही री / भजन" के अवतरणों में अंतर

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21:40, 12 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

दूलह राम, सीय दुलही री ।

घन दामिनि बर बरन हरन मन ।
सुन्दरता नख सिख निबही री ॥

तुलसीदास जोरी देखत सुख ।
सोभा अतुल न जात कही री ॥

रूप रासि विरचि बिरंचि मनु ।
सिला लमनि रति काम लही री ॥