भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जयति जयति वन्दन हर की / आरती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAarti |रचनाकार= }}<poem> जयति जयति वन्दन हर की गाओ मिल आरती सिया रघुव…)
(कोई अंतर नहीं)

00:47, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण

   आरती का मुखपृष्ठ

जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ..

भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम .
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम .
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ..

गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश .
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश ..
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ..