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"शारदे! / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर
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संपदा त्रिलोक की न अंब चाहिये मुझे, | संपदा त्रिलोक की न अंब चाहिये मुझे, | ||
सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे । | सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे । |
14:35, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण
संपदा त्रिलोक की न अंब चाहिये मुझे,
सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे ।
रोम-रोम मातृ ऋण भार से विनत-नत,
शुभ्र उत्तरीय से दुलार दे ओ शारदे ।
चेतना सदा ही रहे तेरी साधना की मातु
भावना दे, ज्ञान दे, विचार दे ओ शारदे ।
मोरपंख वाली लेखनी का कर शीश धर,
तार-तार वीणा झनकार दे ओ शारदे ।