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"शूल से शब्द / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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चुभते शूल से शब्द
 
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किसी फूल से नाज़ुक एहसास को  
 
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मुरझा देने पर मज़बूर कर देते हैं  
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मुरझा जाने पर मज़बूर कर देते हैं  
 
और बाग़ में बचती हैं कुछ सूखी सी पत्तियां  
 
और बाग़ में बचती हैं कुछ सूखी सी पत्तियां  
 
और सोचता हुआ माली   
 
और सोचता हुआ माली   

17:54, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

चुभते शूल से शब्द
किसी फूल से नाज़ुक एहसास को
मुरझा जाने पर मज़बूर कर देते हैं
और बाग़ में बचती हैं कुछ सूखी सी पत्तियां
और सोचता हुआ माली
कि आखिर साथ-साथ चलते हुए
क्यों घायल कर जाते हैं
दो साथी एक-दूसरे को,

शायद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
दूसरे को घायल करना ज़रूरी था